एक हनुमान भक्त का सच्चा अनुभव – ऐसे ही हैं हमारे बजरंगबली

 

एक हनुमान भक्त का सच्चा अनुभव – ऐसे ही हैं हमारे बजरंगबली

 

दोस्तों आज के इस अनुभव को पढ़ने  के बाद आपको पता चल जायेगा की क्यों हनुमान जी इस  कलयुग के सबसे जाग्रत देव कहे जाते हैं ? आखिर क्या हुआ था इस भक्त के साथ और ऐसा कौन  सा संभव कार्य था जो हनुमान जी ने इस भक्त की सुरक्षा हेतु असंभव बना दिया , इसे  जान कर भगवन पर बढ़ेगा विश्वास आपका , तो ध्यान से इस घटनाक्रम को पढिये और समझिए ,

 

जय श्री राम साधु जी और जय श्री राम  आप  के सभी रीडर्स  को भी…. मेरा नाम विनीत है और मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ मैं पिछले 20 सालों से दिल्ली में ही एक अच्छी  प्राइवेट नौकरी कर रहा हूँ ! आप  की वेबसाइट को  मैं   पिछले कई महीनो से फॉलो कर रहा हूँ और ख़ास बात ये रही आप के वेबसाइट की की  कई नई  तरह की जानकारियां अपने प्यारे बजरंगबली के बारे में सुनने को मिली ! आप का सादरआभार  और धन्यवाद  !

आप ने अपने पिछले अनुभवों  में अपनी मेल ID  का ज़िक्र किया था और नए अनुभवों  में  आप क्या देखना पसंद करेंगे  यह भी पुछा था ! तो मैंने आपसे मेल पर संपर्क किया और मुझे ख़ुशी है की आप ने मेरे जीवन में बीती प्रभु श्री हनुमान जी की कृपा के बारे में  अपने रीडर्स  के साथ मेरी आपबीती को शेयर करने की हामी भर दी ! वैसे तो मेरे साथ श्री हनुमान जी की असीम कृपा बचपन से ही  रही है पर अपने प्रभु  श्री हनुमान जी की एक लीला के बारे में आज मैं यहाँ आपकी वेबसाइट  के माध्यम से शेयर करने जा रहा हूँ.

यह बात 4  साल पहले की है 2018  जुलाई  के महीने में , शायद सेकंड वीक रहा होगा , मेरा एक दोस्त बोहत सालों बाद मुझसे  मिलने आया , कुछ इधर उधर की बातों के बाद उसने बोहत ही दर्द भरी कहानी अपनी बेटी के बारे में  सुनाई  , उस के मुताबित उस की एक ही बेटी थी 3 साल की और बेहद दुःख भरी बात कि  बचपन से ही उस के दिल में छेद था ! बेटी का इलाज दिल्ली में  ही डिफेन्स कॉलोनी के एक  हार्ट हॉस्पिटल में किया जा रहा था ! मित्र के अनुसार उस का अभी तक इस पूरे इलाज़ में  लगभग 20  लाख से ज़्यादा  का खर्चा हो चूका था !

क्यों की मैं अपने इस मित्र से कई सालों बाद मिला था इस लिए मुझे उस के परिवार या फिर किसी खास परिचित के बारे में कुछ भी नहीं पता था , फिर भी इतने सालों  की मित्रता की वजह से मेरा दिल उस की बेटी के लिए पसीज गया था, मैंने अपने मित्र से मेरी तरफ से किसी भी तरह की मदद का दिलासा दे कर विदा ली ! रात भर सो नहीं पाया और रह रह कर मित्र की दयनीय हालत की तरफ ही ध्यान जाता ! वाइफ के भी कई बार समझाने पर ये यकीं नहीं हो पा  रहा था की कैसे ईश्वर इतनी छोटी बच्ची  को इतना दुःख दे सकता है!

अगली सुबह हुई , मैं अपने ऑफिस जाने की तयारी कर ही रहा था कि  मेरे फ़ोन की घंटी बजी तो देखा उसी दोस्त का फ़ोन था और फ़ोन उठाने पर वह  जोर जोर से रो रहा था मैंने कारण  पूछने पर  उस ने बताया की डॉक्टर के अनुसार बेटी का एक इम्मीडिएट ऑपरेशन करना है और न करने पर उस की जान को बचाया नहीं जा सकेगा , मैंने उसे धीरज रखने को कहा तो उस ने 4 लाख रूपए उसे देने की रिक्वेस्ट मेरे सामने कर दी और कहा की जल्द ही 2  महीने के अंदर  उसे लौटा देगा ! बात मित्रता की थी और सब से बड़ी बात उस बच्ची की जिस ने अभी तक इस दुनिया को ठीक से देखा भी नहीं था ,

अभी हाल ही में  मुझे अपनी कंपनी की तरफ से   हनुमान जी की कृपा से प्रमोशन और बोनस दोनों ही मिले थे तो बोनस का पैसा अभी भी मेरे अकाउंट में  ही था जो की लगभग 3  लाख रुपए था ! मैंने उसी क्षण निर्णेय  ले लिया की कुछ भी कर के अपनी मित्रता और उस की बच्ची को बचा ही लूँगा और फौरन मैंने वो तीन लाख रूपए देने का मन बना लिया और दोस्त के बताये हुए अकाउंट नंबर पर ऑनलाइन ट्रांसफर भी कर दिया और प्रभु हनुमान जी से प्रार्थना की उस  बच्ची की अच्छी  हेल्थ के लिए !

मेरी वाइफ और मैं…   हम दोनों खुश थे कि  इस तरह से बच्ची के ऊपर आया हुआ संकट टल  जाएगा  !

दिन बीता मैं ऑफिस से घर जाने के लिए रेडी था तो सोचा दोस्त से एक बार बच्ची का हाल पता कर लूँ  तो उसे फ़ोन मिला दिया पर फ़ोन स्विचेडऑफ था , सोचा की मिस्ड कॉल अलर्ट तो फ़ोन ऑन  होते ही रिसीव हो जाए गा  और मित्र अपने आप कॉल बैक कर लेगा , इसी निश्चिंतता के साथ मैं घर लौट आया !

अब मुझे शॉक लगने वाला था क्यों की लगभग 1 हफ्ता फ़ोन दोस्त को  ट्राई  करते हुए हो गया था पर फ़ोन रेगुलर स्विचेड ऑफ ही बता रहा था और इतना समय  बीतने पर भी मेरे दोस्त का कोई कॉल बैक नहीं आया ! कुछ इधर उधर फ़ोन घुमाने पर ही सारा माजरा समझ में आ गया और कन्फर्म हो गया कि  मेरे साथ चीटिंग हुई है ! फिर क्या था मैं अपने अराधेय हनुमान जी के पास मरघट वाले हनुमान जी के मंदिर  पोहंचा और उन्हें अर्जी में  दोस्त की  सारी कहानी  बता कर निश्चिंत हो गया कि  इसका इलाज तो अब बाबा ही करेंगे  ! अभी तक़रीबन 15 दिन ही बीतें होंगे की मुझे एक अन्य कॉमन फ्रेंड  से उस दोस्त की लोकेशन मिली  जो की  उस समय दिल्ली में  ही लाजपत नगर में शॉपिंग करते हुए देखा गया था ! सूचना पाते ही मन गुस्से से भर उठा और अति आवेश में  आ कर लगभग दोपहर 3 बज कर 30 मिनट का समय रहा होगा , मैंने ऑफिस से विदा ली अपनी गाडी निकाल ली फौरन लाजपत नगर जाने के लिए.

साधू जी मैं बता दूँ  लाजपत नगर का रास्ता मेरे ऑफिस से लगभग 20  किलोमीटर का है और लगभग 35 मिनट का समय दोपहर में  लगता है पोहचने  में , मुझे विश्वास था की आज कहीं वो मेरे हाथ लग गया तो मैं  शायद उसे जान से ही मार दूँ क्यों की बेटी की बिमारी का झूठा बहाना बना कर उस ने मेरे विश्वास को बोहत ठेस पोहंचाई थी ! मैं मन ही मन क्रोध की अग्नि में  जल उठा था!

गाडी में बैठते ही मुझे सामने डैशबोर्ड पर विराजमान मंद मंद मुस्कुराते हुए बजरंगबली दिख गए जो शायद कह  रहे थे की जो काम मुझ पर छोड़ा था उसे खुद ही करने चला है बिलकुल यही शब्द उस समय मेरे मन में  आये थे ! पर मैंने उन्हें पूरे तरीके से नज़रअंदाज़ कर दिया और गाडी के पहियों को लाजपत नगर की तरफ मोड़ दिया ! ये मेरी ज़िन्दगी का वो दिन था जिस ने मुझे श्री हनुमान जी की मौजूदगी का सम्पूर्ण अहसास करवा दिया और ये बातें बताते हुए अभी भी मेरे रोंगटे खड़े  हो रहे हैं ! हनुमान जी से मेरा द्वन्द गाडी चलाते चलाते चल रहा था , मैं मुर्ख ये भी न समझ पा  रहा था की वो मुझे ना जाने की तरफ इशारा कर रहे थे , आगे चलते हुए अपने भीतर उठती हुई गुस्से की जवाला में  ही मैं अपने ईश्वर के साथ भिड़  गया और उनसे बोल  दिया कि आज मुझे उस  जगह पोहॉंछने से कोई नहीं रोक सकता , अगर कोई है तो रोक कर दिखाए !

मेरी मूर्खता ही थी कि  मैंने क्या बोल दिया था अपने प्रभु से जो कि  मेरा ही भला चाहते थे ! जब मैं अपने ऑफिस से निकला था तो तेज करारी धूप  निकली हुई थी और जब पहला ही द्वन्द प्रभु हनुमान से कर बैठा तो उन्होंने मेरी नानी मुझे याद दिला दी अब आने वाले 2  घंटे मेरी सुपर रोलर  कोस्टर राइड बनने वाले थे !

ऑफिस से कुछ दुरी पर जाते ही एक बारिश की बूँद मेरी गाडी की विंड स्क्रीन पर गिरी , ये संकेत था उन की पहली चेतावनी का और मैं उसी समय समझ  भी गया था पर मैं अज्ञानी समझने के बाद भी यही मन में  ठान कर गाडी आगे बड़ा दी की अगर हनुमान जी मेरा भला चाहते होंगे तो मुझे वहां तक पोहचने ही  नहीं देंगे ! मैं अभी 500 मीटर  भी आगे नहीं बढ़ा था की जहाँ  अभी थोड़ी ही देर पहले ही चिल चिलाती हुई धुप निकल  रही थी उसकी जगह आसमान में  बादल घुमड़  आये और झमाझम बरसात होने लगी , मैं जानता था की यह चमत्कार प्रभु का ही है पर मैं अज्ञानी आज अपने भगवान् की ही परीक्षा लेने को त्यार था ! डरा सहमा  मैं अब गाडी तो चला रहा था और जिद में  भी था की मैं लाजपत नगर पोहंच जाऊँ ,

पर बारिश और तेज होती गई और अब इस ने एक तूफ़ान का रूप ले लिया , मुझे समझ में  आ गया था की ये किस तरह की माया है , थोड़ा और आगे बड़ा तो तूफ़ान की गति और भी तेज हो गई , ये भी बता दूँ ये तूफ़ान और बारिश मेरी ज़िन्दगी के सब से आक्रोशित क्षण थे ! मैंने आज तक ऐसा विध्वंस नहीं देखा , मुझे लग रहा था  और विश्वास था कि  ये सब मुझे मेरी मंज़िल तक पोहचने  से रोकने के लिए प्रभु ही कर रहे हैं , पर मैं भी प्रभु का ही भक्त था,  मैं और आगे बड़ा , रस्ते में  लोधी रोड का फ्लाई ओवर आता है वहां इतनी भयण्कर  बारिश की विंडशील्ड पूरी तरह से पानी के छप्पाकों से ढक गई और कुछ भी आगे दिखाई नहीं  दे रहा था , मैं फिर भी धीरे धीरे आगे बढ़ता गया !  रास्ते में  कई गाड़ियों के ऊपर पेड़ गिर गए , बोहत सारे रास्ते इन्ही पेड़ों की वजह से ब्लॉक हो गए  ! और मझे भी अपने रास्ते बदलने पड़े , मन में  आत्मग्लानि थी कि  क्यों प्रभु इच्छा के खिलाफ जा कर मैं अपनी मंज़िल पर क्रोध की अग्नि के साथ पोहंचना चाहता था , मुझे नहीं मालूम की मैं क्या कर जाता और उस का अंत में  क्या दुष्परिणाम  होता  पर मेरे प्रभु ने मुझे सब संकटो से सुरक्षित  रखने की इच्छा जो रखी  थी अपने मन में

…. इसी लिए… फाइनली, प्रभु इच्छा से  मैं अपनी मंज़िल तक उस दिन  पोहंच ही नहीं पाया , जब तक मेरे विचारों का द्वन्द पूरी तरीके से ख़त्म  हुआ तब तक दक्षिणी दिल्ली का वह इलाका पूरी तरह से पेड़ों के गिरने की वजह से तहसनहस हो चूका था ! बाद में  रेडियो/टीवी पर  सुनकर यह पता चला की दिल्ली मैं ऐसी बारिश और ऐसा  तूफ़ान  बोहत वर्षो  बाद आया था !

साधु जी पैसे तो मेरे 2020  में प्रभु कृपा से ही लौट आये पर वो 2018 का वक़्त और वो मंज़र जब भी याद करता हूँ तो सहम जाता हूँ और आश्चर्य भी होता है उन लोगों पर जो कहते हैं कि  भगवान् हैं ही नहीं  ! भगवन हैं या नहीं मुझे इसका कुछ नहीं करना परन्तु मेरे जिवंत भगवान्  श्री हनुमान अवश्य हैं जो सदैव मेरी और मेरे परिवार की  रक्षा के लिए तत्पर हैं ! पहले मैं रोज सुबह और शाम एक एक बार हनुमान चालीसा का पाठ करता था लेकिन जब से यह वाकया हुआ तबसे मैं 11 बार  हनुमान चालीसा का पाठ रोज  सुबह और शाम को करता हूँ ! उस हनुमान जी की कृपा सदैव मुझ और मेरे परिवार पर बनी रहे!

आप सभी  पर भी और आप के समस्त रीडर्स  पर भी प्रभु  श्री हनुमान जी की कृपा सदैव बनी  रहे

जय श्री राम जय बजरंगबली

दोस्तों ये थी  सच्ची घटना श्री हनुमान सेवक विनीत जी की दिल्ली से  , हनुमान जी सदा ही अपने भक्तों से प्रेम करते हैं ! सच्चे दिल से उनकी शरण मैं जाएँ वो बड़े से बड़े संकट से भी आप को बहार निकल देंगे , तो ऐसे ही हैं हमारे बजरंगबली’

तो दोस्तों कैसी लगी श्री हनुमान जी के चमत्कार से जुडी आज का अनुभव  ! अनुभव को लाइक और शेयर ज़रूर करियेगा ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक हनुमान जी की महिमा को हम पोहंचा सकें ! और जल्द ही एक और सच्ची घटना के साथ हम वापस लौटेंगे तब तक जय श्री राम जय हनुमान और यही वंदना  बजरंगबली को याद रखने के लिए कमेंट बॉक्स मैं लिखना न भूलें  !

दोस्तों आप भी अगर इस तरह के सच्चे अनुभव हम से शेयर करना चाहते हैं तो डिस्क्रिप्शन बॉक्स में  हमारी मेल ID  आप को मिल जाये गी ! आप हमसे मेल पर अपना अनुभव शेयर कर सकते हैं और हम उस अनुभव को जिवंत करेंगे अपने ब्लॉग के माध्यम से !

2 thoughts on “एक हनुमान भक्त का सच्चा अनुभव – ऐसे ही हैं हमारे बजरंगबली”

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