हनुमान जी – कैसे हुए हनुमान जी के चमत्कारिक दर्शन – एक सच्चा अनुभव

हनुमान जी के चमत्कारिक दर्शन – एक सच्चा अनुभव

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हनुमान जी

 

  दोस्तों आज के इस अनुभव को देखने के बाद आपको पता चल जायेगा कि  हनुमान जी  स्वेम  आप की परछाई बन कर आप के साथ साथ चलते हैं और  क्यों  हनुमान जी की कृपा के बिना जीवन पूर्ण नहीं है ! और कैसे हनुमान जी स्वेम रक्षा करते हैं अपने भक्तों की ? आखिर क्या हुआ था इस भक्त के साथ और ऐसा कौन  सा  कार्य था जो हनुमान जी  ने इस भक्त की सुरक्षा हेतु कर डाला , इसे जान कर हनुमान जी  पर आप का अटुट विश्वास और अधिक मजबूत होगा  !

मुझे लिखना नहीं आता पर आप के लेख और यूट्यूब वीडियोस देखने के बाद मन हुआ की मैं ज़रूर अपना अनुभव जो की हनुमान जी के चमत्कारिक दर्शन के साथ जुड़ा है आप के साथ शेयर करूँ ताकि मैं जिस असहनीय पीड़ा से गुजरा और हनुमान जी के चमत्कारिक दर्शन से कैसे ज़िन्दगी बदली ये सब भक्तों के साथ शेयर करूँ तो शायद इस से प्रेरणा ले कर कोई और भी सुखी हो जाये !

साधु भैया मेरी उम्र 22 साल है , मेरी मदर मेरे बचपन से ही एक सिंगल मदर हैं , मेरी चार साल की उम्र में ही मेरे पिता जी का देहांत हो गया , फिर मैं और मेरी मदर अकेले हो गये और हनुमान जी की कृपा से उन्हों ने ही बोहत मेहनत कर के मेरी परवरिश की ! बचपन से ही मैंने देखा की वह  हनुमान जी को बोहत मानती हैं और फिर चाहे सुख की घडी हो या फिर दुःख की हमेशा से ही वो अपने प्यारे हनुमान जी से प्रार्थना करती रहती हैं ! हनुमान जी की पूजा उन के दैनिक नित्य कामों में से एक है !
मैं अपनी माँ के साथ हनुमान जी के मंदिर तो जाता था पर मेरी ईश्वर में आस्था काफी कम थी या यूँ कह लीजिये की कभी विश्वास ही हुआ था इन सब पर जीवन में !

मेरी 16 साल की उम्र तक सब कुछ ठीक से चल रहा था , मैंअब क्लास दसवीं से ग्यारवी कक्षा में प्रवेश कर चूका था , यही से शुरू हुई मेरे पतन की कहानी जिस ने अंत में जा कर मुझे भी प्रभु हनुमान जी के चमत्कारिक दर्शन करवा दिए !

नई क्लास में स्कूल चेंज हो गया और नए स्कूल में नए दोस्त भी बनने शुरू हो गए , यही से शुरू हुआ नशे की लत का वो दौर जिस में मेरी ज़िन्दगी के 4 साल लग गए उन अँधेरी गलियों को पार करने में ! क्लास में मेरे कुछ अच्छे मित्र बन चुके थे और धीरे धीरे नए मित्रों ने मुझे भी अपनी गलत आदतों में शामिल कर लिया !अब तक मैं दोस्तों की संगत में स्मोकिंग शरू कर चूका था , और धीरे धीरे और दुसरे तरह के नशें भी ट्राय करने लगा था ! ये वो दौर था ज़िन्दगी का जिसे सिर्फ और सिर्फ अगर आप की संगती अछि है तो ही आप संवार पाते हो अन्यथा कब आप की गाडी पटरी से बाहर निकल जाये गी आप को खुद भी मालूम नहीं चलेगा !

ऐसा ही हुआ मेरे साथ , जब तक माँ को मेरी इन आदतों के बारे में पता चला तब तक में एक अच्छा ख़ासा ड्रग एडिक्ट बन चूका था , कुछ समय तक दोस्त यार फ्री में नशा करवाते रहे और एक समय ऐसा भी आया जब मैंने माँ के जमा किये हुए पैसे चुराने शुरू कर दिए ! साथ ही इधर उधर की छोटी मोटी चोरियां करना भी शुरू कर दिया था जिस से की मेरे नशे की डोज़ेस का काम चलता रहे !

मेरे स्कूल में बात फ़ैल चुकी थी मेरी नशा मंडली और ख़ास कर मेरे बारे में ! अब स्कूल की और या कहूँ माँ की फ़िक्र ही कहाँ थी मुझे , मुझे तो सिर्फ एक ही चीज़ दिन में चाहिए होती वो थी मेरे नशे की डोज़ ! काफी कमज़ोर भी हो चूका था अब मैं !

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उस दिन में घर पर ही था , माँ को सबकुछ पता चल चूका था , वो फुट फुट कर रोइ अपने अराधेय हनुमान जी के सामने , बार बार हनुमान जी से पूछ रही थी की ऐसा उस के साथ ही क्यों किया ? क्या गलती हो गई उस से कि हनुमान जी से की गई प्रार्थनाओं में, और इनके बावजूद भी इकलौती औलाद जिसे इतने प्रयत्नों से पाला वो ही इस बुरी लत का शिकार हो गई ! हनुमान जी की भक्त मेरी माँ बोहत गुस्से में आ गई और मुझ पर हाथ भी उठा दिया , साथ ही मुझे ऊपर छत पर बने एक कमरें में बंद कर दिया , पर वो कहाँ जानती थी की मैं कमरे से जल्दी ही पीछे की खिड़की से बहार निकल जाऊँगा !

साधू जी , मां के नीचे उतरने के बाद मैं खिड़की के रास्ते से बहार निकलने के लिए जैसे ही बड़ा वही पर मेरे पाँव रुक गए , पूरी लंगूर बंदरों की सेना छत पर मौजूद थी ! वो लंगूर बंदरों का एक पूरा बड़ा समूह था जिस में लगभग 30 के आस पास की संख्या रही होगी उनकी ! मैंने कोशिश की उन्हें डराने की पर वो हिले तक नहीं और घूर घर कर मुझे ही डराते रहे , अब हालात ये थे की वो जाने का नाम ही नहीं ले रहे थे और शरीर बिना नशे के बोझिल होता जा रहा था ! रात हुई , सभी हनुमान जी के  अवतार वहीँ पर ही जमें रहे , मां आयी खाना लेकर, वो भी  थोड़ा सकपकाई इतने सारे हनुमान जी सेवाधारियों को देख कर , पर नज़रअंदाज़ कर जैसे ही दरवाजा खोला तो मैंने भागने की कोशिश की पर सब बेकार, क्यों की अधिकतर हनुमान जी के सेवाधारी मेरे सामने ही आसान जमाये बैठे रहे , जैसे की कह रहे हों कि हनुमान जी की और से अब से तुम्हारी सारी ज़िम्मेदारी हमारी, बोहत दुःख दे दिया अपनी माँ को !

22वीं सदी का चमत्कार ही था पूरे 17 दिनों तक वे सब के सब हनुमान जी के सेवाधारी, हनुमान जी के मुस्तैद सिपाहियों की तरह मेरे कमरे के बाहर तैनात रहते और मुझे कहीं भी निकलने न देते , हनुमान जी की कृपा से मां ने एक डॉक्टर से बात कर ली थी और वह डॉक्टर मुझे हर 3 से 4 दिन में देखने आता और मेरी दवाई और मेडिकल का ज़रूरी सामान मुहैया करवा देता ! बीच में मैंने बोहत कोशिश की भागने की पर उन हनुमान जी के सेवाधारियों की वजह से मैं कमरे से बाहर हिल तक भी नहीं पाया ! हनुमान जी की कृपा से कुछ ही दिनों में मैं ठीक होने लगा ! माँ दिन रात मेरे लिए प्रभु हनुमान जी से प्रार्थना करती रहती , डॉक्टर के अनुसार मैं नशे की लत की चरमसीमा पर था , और कभी भी मेरा ब्रेन हैमरेज इस की वजह से हो सकता था , परन्तु वो दिन जो हनुमान जी के सेवाधारियों की वजह से छत्त पर मैंने नशे के बिना काटे उन दिनों ने मुझे बोहत हिम्म्मत दी और प्रभु हनुमान जी और उनके सेवाधारियों की वजह से मेरा पूरा माइंडसेट चेंज हो कर पॉजिटिव हो चूका था ! उन्ही दिनों से मैंने भी हनुमान जी का चालीसा जाप करना शरू कर दिया और एक अनोखी शक्ति का एहसास अपने अंदर पाया ! कुछ 17 से 20 दिनों तक हनुमान जी के सेवाधारी छत्त पर मेरे ही साथ रहे और फिर ना जाने धीरे धीरे वो रुखसत होते चले गए ! मुझे पूरा विश्वास है स्वेम हनुमान जी अपनी वानर सेना के साथ अपने बच्चे का उद्धार करने स्वेम आये थे , आज भी उन्हें याद करता हूँ तो मन में अपने प्यारे हनुमान जी की छवि दिखाई देने लगती है !

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हनुमान जी की कृपा , माँ के आशीर्वाद और वे अनोखे हनुमान जी के सेवाधारी जिन्हो ने मेरे स्वस्थ्य सुधार में बोहत एहम भूमिका निभाई , मैं इन सब को नमन करता हूँ. जय श्री राम जी , जय हनुमान जी , जय बजरंगबली जी !

 

 

 

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